वाट्सऐप द्रारा बर्षाबास से जुडे सात समन्दर पार के धार्मिक श्रद्धालू एवं समाज बंधु
ग्यारसपुर
तीर्थंकर भगवान शीतलनाथ की विहार भूमि, शाल भंजिका जैसी क्रति को अपने गर्भ से जन्मने वाली,नामी गिरामी ऐतिहासिक धरोहरों को अपने आंचल में समेटे इस पुण्य धरा पर सोलहवीं शताब्दी के अध्यात्मवादी संत तारण तरण स्वामी मंडलाचार्य जी जिन्होंने मुनि वृत धारण करने के बाद पहला चातुर्मास ग्यारसपुर में किया था।
उन्ही की बिचारधारा के अनुयायी इतिहास रत्नाकर, अध्यात्म रत्न, आत्मनिष्ठ साधक, बाल ब्रह्मचारी संत वसंत महाराज मंगल बर्षाबास के लिए जैन चैत्यालय में विराजमान है।
आप अपनी आत्म साधना में तल्लीनता से रोजाना इक्कीस घंटों तक मौन धारण किए हुए है।
तीन घंटों में समाज को धर्मोपदेश, भक्ति, भजन, और स्वामी जी रचित चौदह सिद्धांत ग्रंथों पर चर्चा वांचना कर रहे है।
जैन बिचारधारा के बिभिन्न अनुया…
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