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लॉकडाउन में रूपा ने सूझबूझ से कमाई कर चलाई आजीविका ‘‘सफलता की कहानी’’

 

अनुपपुर 
    जिले के कोतमा जनपदीय अंचल की रहने वाली रूपा पाव ने कोरोना काल में लॉकडाउन के चलते जब सब कामधंधे बंद हो गए थे, अपनी सूझबूझ से मास्क निर्माण से हुई कमाई से अपने परिवार की आजीविका चलाई। रूपा के पति कृषि मजूदर हैं और पति का साथ देने के लिए वह अपने गांव के आसपास के गांवों में लगने वाले हाट-बाजार में जाकर सिलाई का कार्य लाकर परिवार की आजीविका चलाया करती थीं। 
    लेकिन कोरोना के कारण लगे लॉकडाउन के दौरान उनके यहाँ सिलाई के लिए कपड़ा आना बंद हो गया। यह कपड़ा गांव की दीदियां उनके यहां लेकर आती थीं। जिनका लॉकडाउन के कारण आना-जाना बंद हो गया। सिलाई कार्य बंद हो जाने से रूपा की आय में कमी आ गई और घर का खर्च चलाना मुश्किल हो गया। जो कुछ कमाया था, वह भी महीने भर के अन्दर घर के खर्च में चला गया। लॉकडाउन की वजह से गांव से बाहर निकलना नहीं हो पाता था, जिस कारण आसपास के गांवों की दीदियां सिलाई करवाने नहीं आ पाती थीं। इस तरह रूपा का सिलाई का व्यवसाय पूरी तरह ठप हो गया।
    इसी बीच कोरोना संक्रमण से बचाव के लिए मास्क निर्माण का कार्य शुरु हो गया। रूपा ने मास्क निर्माण से कमाई करने की ठानी और वह आजीविका मिशन द्वारा गठित स्वसहायता समूह से जुड़ गईं। म.प्र. ग्रामीण आजीविका मिशन के द्वारा रूपा को मुख्यमंत्री आर्थिक कल्याण योजना की वित्तीय मदद से मास्क निर्माण का कार्य मिल गया। रूपा ने 7500 मास्कों का निर्माण कर डाला, जिसकी कमाई की बदौलत उन्होंने ना केवल एक सेकण्ड हैण्ड स्कूटी खरीदी, बल्कि पति को साइकिल मरम्मत दुकान भी खुलवा दी। इससे उनके परिवार की आमदनी कई गुना बढ़ गई।  
रूपा अपने पुराने दिन याद कर बताती हैं कि उन्हें अपने कार्य के सिलसिले में आसपास के गांवों में आने जाने में कठिनाई होती थी। उनके पास साईकिल तक नहीं थी, जिस कारण आने जाने में कठिनाई होती थी। अब स्कूटी आ जाने से आसपास के गांवों में जाने में सहुलियत हो गई है। रूपा कहती हैं कि कभी मेरी हैसियत साईकिल तक पर चलने की नहीं थी, पर आज मैं स्कूटी पर चल रही हूँ। वह कहती हैं कि उन्हें सिलाई कार्य से प्रतिदिन 300 से 350 रुपये की आमदनी हो जाती है। म.प्र. ग्रामीण आजीविका मिशन के जिला परियोजना प्रबंधक श्री शशांक प्रताप सिंह कहते हैं कि स्वसहायता समूहों से जुड़ी महिलाएं लगातार आर्थिक रूप से मजबूत हो रही हैं। उन्हीं में से एक रूपा भी अपनी मेहनत और सूझबूझ से अच्छी कमाई कर रही हैं।  

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