ग्वालियर | 23-दिसम्बर-2019 |
जिले की डबरा जनपद पंचायत के ग्राम चिरपुरा, मकोड़ा, सूखापठा, इकौना, बैरागढ़ आदि ग्रामों में स्व-सहायता समूह की महिलाओं द्वारा शुरू की गई जैविक खाद उत्पादन रोजगार का जरिया बना है। स्व-सहायता समूहों की महिलायें “वर्मी कम्पोस्ट” के रूप में जैविक खाद का उत्पादन ले रही हैं। इस खाद को बेचने से उन्हें प्रतिदिन 100 से 150 रूपए की आय भी हो रही है, जिससे उनके परिवार का भरण-पोषण भी अब बेहतर तरीके से हो रहा है। शांति स्व-सहायता समूह चिरपुरा की अध्यक्ष श्रीमती मुन्नी बंजारा ने बताया िक गांव में ही घरों से निकलने वाले कूड़े-करकट एवं जानवरों के गोबर से कम्पोस्ट खाद और वर्मी कल्चर के माध्यम से केंचुए की खाद का उत्पादन समूह के माध्यम से किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि प्रतिमाह 3 हजार किलोग्राम जैविक खाद निर्माण के साथ जैविक दवाओं का भी निर्माण कर रही हैं। इस कार्य से समूह की महिलाओं को स्थानीय स्तर पर ही रोजगार मिला है। साथ ही संभागीय हाट बाजार ग्वालियर के माध्यम से जैविक खाद को बेचने के लिए समूहों को बाजार भी उपलब्ध हो गया है। उन्होंने बताया कि समूह द्वारा तैयार की गई जैविक खाद एवं जैविक दवाईयों से समूह की महिला सदस्यों को 100 से 150 रूपए प्रतिदिन आय हो रही है। अध्यक्ष ने बताया कि साग-सब्जी, फलों एवं फूलों की खेती में भी लोगों का रूझान रासायनिक खाद के स्थान पर जैविक खाद के प्रति बढ़ा है। इसलिए लोग अपने घरों में गमलों एवं आवासों में लगे फल फूलों के पेड़ पौधों में जैविक खाद का उपयोग कर रहे हैं। जैविक खाद खरीदने हेतु संभागीय हाट बाजार से ऑनलाइन जैविक खाद की मांग भी मिल रही है। उन्होंने बताया कि इसी प्रकार निर्भय आजीविका स्व-सहायता समूह सूखापठा द्वारा 5 हजार किलोग्राम, रानी लक्ष्मीबाई स्व-सहायता समूह मकोड़ा द्वारा 2 हजार किलोग्राम, रानी लक्ष्मीबाई स्व-सहायता समूह इकोना के एक समूह द्वारा 250 किलोग्राम, दूसरे समूह द्वारा 2 हजार किलोग्राम और लक्ष्मीबाई समूह बैरागढ़ द्वारा 2 हजार किलोग्राम जैविक खाद का उत्पादन किया गया है। |
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